बेटा : माँ ऐसा मत करो माँ – Best Emotional Story In Hindi

नमस्कार मित्रों आप सभी का स्वागत है मित्रों मैं आप लोगों को इस आर्टिकल में Emotional Story In Hindi सुनाने वाला हूं जिसको आप लोग सुनने के बाद बहुत ज्यादा करुणा के भाव में चले जाएंगे साथियों यह एक ऐसी स्टोरी है जिसमें एक मां अपने पुत्र से निवेदन करती है |

कि बेटा ऐसा मत करो और बेटा कैसे अपनी मां को मनाना चाहता है की मां मुझे ऐसे करने दो साथियों मैं आप लोगों को यह सारी स्टोरी सुनाऊं उसके पहले आप लोगों से एक अनुरोध कर लेता हूं साथियों अगर आप हमारी वेबसाइट पर पहली बार आये हैं तो आप हमारी वेबसाइट को सब्सक्राइब कर ले जिससे कि आप लोगों के पास समय-समय पर अपडेट पहुंचता है तो चलिए साथियों शुरू करते हैं |

Best Emotional Story In Hindi

साथियों यह कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जिसके पति का नाम था श्री भद्र और उसकी पत्नी के नाम था राधिका उनके बेटे का नाम श्याम था | श्याम राधिका और श्री भद्र का इकलौता बेटा था जिसे बड़े ही नाज से पाला था श्री भद्र एक मामूली नौकरी में होने के बाद भी श्याम की हर जरुरत को पूरा किया जो उसकी होती थी जब श्याम छोटा था तो मां के पल्लू थामें इधर-उधर घूमता था अब वह 22 साल का हो गया है |

जब से श्याम समझदार हुआ है वह अपने कमरे में अलग सोने लगा तब से उसकी मां राधिका रात को सोने से पहले श्याम के कमरे में जाती उसे सोता हुआ देखकर उसके मन को बड़ा सुकून मिलता कभी श्याम पढ़ाई करता रहता तो राधिका देखकर उसे अपने पास बैठा लेती कुछ देर दोनों मां बेटे आपस में बात करते उसके बाद सो जाते हैं |

श्याम के बड़े हो जाने पर

श्याम बड़ा हो गया और कुछ दिनों पहले ही आप श्याम की नौकरी लग गई श्याम को अच्छी खासी तनख्वाह मिलती जिससे कि कमल धीरे-धीरे तरक्की की सीढ़ियां चढ़ने लगा श्याम की मां अपनी बेटे की तरक्की देख बहुत खुश थी और श्याम के पिता भी अब श्याम की माता-पिता दोनों बहु लाने की तैयारी कर रहे थे और बहुत सपने देखे थे राधिका ने अपनी बहू के लिए और उसने कई तस्वीरें अपने समाज में शादी की पत्रिका में निकाली और श्याम को दिखाई जिसमें से श्याम ने सुनैना को पसंद किया |

Best Emotional Story In Hindi
Best Emotional Story In Hindi

सुनैना और श्याम की सगाई हो गई और कुछ ही दिनों में उन दोनों के शादी का मुहूर्त बना और दोनों की शादी भी फिक्स हो गई श्याम और सुनैना के बात करने का सिलसिला शुरू हुआ और धीरे-धीरे वह एक दोनों से प्रेम करने लगे जब श्याम ऑफिस से आता आने के बाद खाना खाकर अपने कमरे में चला जाता और अपने माता-पिता के साथ बैठना बंद कर दिया सुबह भी सुनैना के फोन से ही शुरू होती और रात भी राधिका को यह सब अच्छा नहीं लगता था क्योंकि उसका बेटा जो मां करता था नहीं सकता था वह शादी के पहले ही सुनैना की गुणगान करने लगा |

श्याम के शादी के पहले

एक दिन रात को सोने से पहले रात का श्याम के कमरे में गई श्याम सुनैना से फोन पर बात कर रहा था राधिका को देखा सामने अचानक फोन काट दिया और बोला मैं तुम इस समय रात करने का हां मैं देखने आई थी तू सो गया या नहीं उधर अचानक से कॉल कट हो जाने से सुनैना परेशान हो गई और बार-बार श्याम के पास कॉल करने के लिए सामने गुस्से में मन से कहा मैं इस तरह रात को मेरे कमरे में मत आया करो अब मैं बच्चा नहीं रहा बड़ा हो गया हूं राज का कोई यह शब्द बहुत ही बुरे लगे वह चुपचाप अपने कमरे में चली गई है |

आंखें अपने साड़ी पल्लू से आप पहुंचे लगी तो यह देख श्री भद्रा ने पूछा क्या हुआ राधिका ने सारी बात फ्री भादरा से बता दे यह सुन श्री भद्रा ने कहा तुम भी ना अरे भूल गई क्या अपने जवानी के दिन किस तरह हम चुप-चुप कर बात नहीं करते थे फिर देखने जाते थे शादी के पहले एक दूसरे के साथ समय बिताते थे अब तुम्हारे बेटे की सगाई हो गई और उसे नौकरी के साथ-साथ सुनैना को समय देना होता है इसलिए उसने ऐसा कह दिया होगा उसकी भी अब प्राइवेसी है समझ नहीं पड़ेगी राधिका नेहा मिश्रा हिलाया समय बिता गया राधिका की शादी हो गई राज का घर आ गए कुछ दिनों बाद श्याम ऑफिस से आया और उसने बताया कि उसे ऑफिस की तरफ से विदेश जाने का मौका दिया जा रहा है |

यह सुन सब बहुत खुश हुए लेकिन राधिका को खुश नहीं हुई श्याम और सुनैना विदेश चले गए पहले रोज सुनैना कॉल करके हाल-चाल लेती श्याम भी अपने मां बाबूजी से बात कर लेता पर फिर सप्ताह में एक बार कॉल करने लगे और धीरे-धीरे महीने में एक बार यदि राज का कॉल करती तो श्याम कह देता था की मां अभी व्यस्त हूं पर फिर भी राधिका अपने मन को मार कर दिन में एक बार कॉल करती ही थी राधिका उदासी रहने लगी जिस बेटे को प्यार से पहले पोस उसने उन्हें दूध में से मक्खी के जैसे निकल कर फेंक दिया हो |

श्री भद्र उसे समझौता की आजकल का जमाना ही है ऐसा पर गिरजा श्रीकांत की बात को नजर अंदर कर मन ही मन दुखी रहती श्याम और सुनैना को विदेश गए 2 साल होने हो गए थे पर वह एक बार भी घर नहीं आए थे 2 साल से घर में कोई पकवान तक ना बना श्री भद्रा कभी कहता की खीर कचौड़ी पूरी बना लो तो राधिका चिढ़ कर कहती यहाँ बेटा हाथ से चला गया और तुम्हें भगवान खाने हैं वह था तो यहां घर जैसा लगता था अब तो जीवन वीरान हो ऐसा हो गया है |

श्याम के विदेश जाने के बाद

बेचारे श्री भद्रा कुछ कह नहीं पाते थे बाजार में जाते जो मन करता था उसे खा कर चले जाते थे बाजार के पकवानों में वह स्वाद कहां जो घर में बनते हैं श्री भद्रा के रिटायरमेंट का दिन भी करीब आ गया था राधिका ने श्याम को कॉल कर कहा बेटा तुम्हारे पापा परसों रिटायरमेंट ले लेंगे उसके उपलक्ष में उनका सम्मान समारोह रखा गया है इसलिए तुम वीडियो कॉल कर लेना तुम्हारे पापा को अच्छा लगेगा श्याम ने कहा ठीक है मां मैं सम्मान समारोह के दिन बड़े ही अच्छे से श्री भद्रा का स्वागत हुआ पूरे स्टाफ ने श्री भद्र की तारीफ की राज का बार-बार फोन देख रही थी कि श्याम और सुनैना कॉल करेंगे सम्मान समारोह खत्म हो गया पर ना बहू और ना बेटे दोनों ने कॉल नहीं किया |

राधिका ने श्रीभद्र से पूछा देखो जरा आपके मोबाइल पर श्याम को मिस कॉल तो नहीं श्री बद्री ने कहा कोई मिस कॉल नहीं है झूठी उम्मीद करना छोड़ दो देखो रात का मैं तुम्हें कब से समझा रहा हूं तुम बेटे बहु से आशा लगाए बैठी हो अपना दिल दुखाए जा रही हो मनी मन दुखी होती हो दुखी होना छोड़ दो अब वह तुम्हारे बारे में कुछ नहीं सोचता होगा ना ही हमारे बारे में अब वह अपने परिवार के बारे में सोचता होगा |

और अपने पैसे के बारे में क्यों अपना जीवन तुम बर्बाद कर रही हो बेटे बहू के चक्कर में अपनी जान सुखाए जा रही हो अरे बहुत से लोग बिया औलाद रहते हैं तुम भी सोच लो जैसे तुम्हारा कोई औलाद ही नहीं है राधिका ने कहा कैसी बातें करते हो औलाद कैसे भी हो मुंह खत्म नहीं होता तुम बन जाओ निर्मोही मैं नहीं बना पाऊंगी श्री बद्री ने कहा तो जीती रहो अच्छा अच्छा कर बेटे बहू के चक्कर में ऐसा ना हो अपने बेटे बहू के प्रेम में अपने पति को को दो राधिका चुप रही क्या कहे कुछ कुछ समझ नहीं आता था |

आप रिटायरमेंट के बाद श्रीभद्र को अपने सरकारी क्वार्टर भी खाली करना था श्रीमद् अपनी जगह पूंजी से कॉलोनी में एक छोटा सा घर खरीद लिया घर बहुत छोटा था पर सुकून नहीं था क्योंकि उसके परिवार में जो सबसे मुख्य सदस्य था वह उन लोगों के बीच में अब नहीं रहा और वह धीरे-धीरेउठते थे रात के की आस पड़ोस की औरतों से पहचान हो गई सामने एक बड़ा सा गार्डन था जहां बहुत से लोग घूमने आते और खेलने आते और अब उनके बहुत सारे अच्छे दोस्त बन गए थे कुछ दिनों बाद बातों ही बातों में राधिका को पता चला कि घर की समस्या तो कुछ नहीं है |

दूसरे औरतें तो और विजेता बहू बेटों से परेशान है किसी को घर में मान सम्मान नहीं किसी को किसी की तकलीफ है इस तरीके से उनको समझ में आया कि इस दुनिया में कोई किसी का नहीं है सिर्फ स्वार्थ की दुनिया है इस स्वार्थ भरी दुनिया में सिर्फ जो भी रिश्ता है वह स्वार्थ के लिए है इसलिए आप लोग भी इस वक्त भरी दुनिया में ऐसे कदम जरूर उठाएं जिससे कि आपका जीवन सुखी रहे और आसानी से जीवन व्यतीत हो |

निष्कर्ष

साथियों यह जो कहानी सुनाई गई इसका एकमात्र उद्देश्य है आप लोगों को जागरूक करना जो मैं आप लोगों को Emotional Story In Hindi सुनाया हूं उसका और कोई उद्देश्य नहीं है एक मात्र उद्देश्य यह है कि आप जागरूक रहें और सतर्क रहें और समझदारी भरे कदम उठाए जिससे कि आप लोगों को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े बाकी साथियों जीवन जैसे आपका आप अपना जीवन आसानी से और सुख पूरे व्यतीत करना चाहते हैं वैसे ही आपकी परिवार के सदस्य भी इसलिए किसी प्रकार की कोई जबरदस्ती परिवार सदस्यों के साथ ना करें जिससे कि वह आपके रिश्तों को दूरी में तब्दील करदे |


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